विज्ञापन के दौर में ‘जो दिखता है वो बिकता है” जैसी कहावते समाज में इस कदर घर कर गई हैं जिससे पार पाना शायद अब आसान नहीं लगता। लेकिन सवाल ये है कि क्या नफे- नुक्सान के फेर में पड़कर झूठ, फरेब और धोखे का कारोबार भी किया जा सकता है?
साल 2014 में आउटलुक ट्रैवेलर ने लखनऊ सोसाइटी के तत्वाधान में आयोजित “लखनऊ लिटरेरी फेस्टिवल” को इण्डिया के “टॉप 6” लिटरेरी फेस्टिवल में लिस्ट किया था जो कुछ लोगो के लिए नींद ना आने का विषय बना हुआ था बस फिर क्या था अभी कुछ दिन पहले एक फेसबुक पोस्ट हम लोगो की नज़रो के सामने से गुज़रा जिसमे लिखा था कि लखनऊ एक्सप्रेशन द्वारा आयोजित “लखनऊ लिटरेचर कार्निवाल” जिसे अब “लखनऊ लिटरेचर फेस्टिवल” का नाम दे दिया गया है, को हेराल्ड पोस्ट ने इंडिया के बेस्ट (टॉप 5) लिट् फेस्ट में शामिल किया है। पर बात कुछ इस वजह से गले से नहीं उतरी की वो संस्था जिस पर लखनऊ सोसाइटी ने ट्रेडमार्क पासिंग ऑफ का केस फाइल किया हुआ है जिसके कारण उसके सारे सोशल मीडिया अकाउंट (फेसबुक/इंस्टाग्राम/ट्विटर) सम्बंधित संस्थाओ ने ससपेंड कर दिए हो और जो अभी फेस्टिवल के नाम से हुआ भी नहीं हो वो अभी से “टॉप 5” में कैसे लिस्ट हो सकता है?
बस फिर क्या था जिज्ञासा को शांत करने के लिए “हेराल्ड पोस्ट डॉट इन” (heraldpost.in) का शिजरा निकाला गया तो पाया गया कि वो डोमेन किसी फ़र्ज़ी नाम और एड्रेस से रजिस्टर किया गया था बस उसको रजिस्टर करने वाले से गलती ये हो गई की वो अपनी मेल आई डी हटाना भूल गया था। और ये मेल आई डी छिछली लोकप्रियता पाने की होड़ में लगे लखनऊ एक्सप्रेशन सोसायटी के कर्मठ टीम मेंबर वसीम सिददीकी साहब की निकली और नंबर लखनऊ एक्सप्रेशन सोसाइटी का। वैसे तो ये उनके लिए कोई नई बात नहीं थी क्योकि ऐसे कई काम ये पहले भी कर चुके है तो ऐसे लोगो से नैतिकता की उम्मीद करना भी अप्रासंगिक होगा।
वैसे तो इंसान की फितरत नहीं बदलती पर फिर भी हम लोगो का लखनऊ एक्सप्रेशन सोसायटी के प्रेसिडेंट श्री जयंत कृष्णा साहब जो की देश के “कौशल भारत” ( Skill India – NSDC ) के ED & COO भी है, को सुझाव है कि वो इण्डिया की स्किल बाद में डेवेलोप करे पहले वो अपने टीम मेंबर्स की स्किल्स डेवेलप कर ले तो शायद ज़्यादा बेहतर हो।